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डिस्लेक्सिया के क्या है लक्षण, कारण, इलाज व बचाव के तरीके

डिस्लेक्सिया के क्या है लक्षण, कारण, इलाज व बचाव के तरीके ?

डिस्लेक्सिया जिसको सामान्य शब्दों में समझने की कोशिश करें तो ये किसी बच्चे को पढ़ने या किसी चीज को समझने में समस्या का सामना करवा सकता है, डिस्लेक्सिया से अगर कोई बच्चा पीड़ित है, तो हम कैसे जान सकते है की उसे इस तरह की समस्या है, वही आप में से बहुत से लोग इस समस्या के बारे में तो जानते तक नहीं होंगे, पर घबराए न बल्कि हम आपको बताएंगे की आखिर क्या है डिस्लेक्सिया और इस समस्या से हम कैसे अपने बच्चे का बचाव कर सकते है ;

डिस्लेक्सिया क्या है ?

  • इसमें बच्चे को सीखने समझने और कुछ भी याद करने में दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है, इसमें शब्दों को बोलने के साथ-साथ याद करने में परेशानी भी होती है, हालांकि यह बुद्धि को प्रभावित नहीं करता है, लेकिन बच्चे सीधे अक्षर को उल्टा लिखते है, जो एक तरह की लर्निंग डिसेबिलिटी होती है। 
  • इसमें पढ़ने की समझ में समस्याएं और पढ़ने का अनुभव कम होना भी शामिल हो सकता है, जो शब्दावली के विकास को धीमा कर सकता है। जितनी जल्दी डिस्लेक्सिया का इलाज किया जाता है, उपचार का परिणाम उतना ही अधिक प्रभावी होता है। इसलिए, डिस्लेक्सिया से पीड़ित लोगों के लिए अपने भाषा कौशल में सुधार करने और सीखने में कभी देर नहीं करना चाहिए है।

डिस्लेक्सिया के प्रकार क्या है ? 

  • डिस्लेक्सिया के प्रकार को तीन भागों में विभाजित किया गया है, जिनमे से पहला है – प्राथमिक डिस्लेक्सिया, और ये सबसे आम प्रकार है, जो मस्तिष्क के बाएं हिस्से की शिथिलता के कारण होता है और उम्र के साथ इसमें कोई बदलाव नहीं होता है। इस प्रकार के डिस्लेक्सिया वाले व्यक्तियों के लिए विकलांगता की गंभीरता अलग-अलग होती है, अधिकांश बच्चे जो उचित शैक्षिक हस्तक्षेप प्राप्त करते है, वे जीवन भर शैक्षणिक रूप से सफल रहेंगे। कुछ लोग जीवन भर पढ़ने, वर्तनी और लिखने में महत्वपूर्ण संघर्ष कर सकते है।
  • दूसरा है, माध्यमिक डिस्लेक्सिया और इसमें भ्रूण के विकास के प्रारंभिक चरण के दौरान मस्तिष्क के विकास में समस्या उत्पन्न होती है। जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है, इस प्रकार का डिस्लेक्सिया समय के साथ कम होता जाता है।
  • तीसरा है, आघात डिस्लेक्सिया और इसमें आमतौर पर मस्तिष्क की चोट या मस्तिष्क के उस क्षेत्र में आघात की समस्या उत्पन्न होती है, जो व्यक्ति के पढ़ने और लिखने को नियंत्रित करती है।
  • अगर आप इनमे से किसी भी प्रकार के डिस्लेक्सिया का सामना कर रहें है, तो इसके लिए आपको जल्द हल्द्वानी में मानसिक रोग विशेषज्ञ के पास आना चाहिए।

डिस्लेक्सिया के कारण क्या है ? 

  • आनुवंशिक उत्परिवर्तन भी इस के कारणों में शामिल है।
  • भ्रूण के विकास के दौरान समस्या का आना। 
  • मस्तिष्क की चोट या किसी गंभीर आघात का सामना करना। 

डिस्लेक्सिया के लक्षण क्या है ?

  • नई शब्दावली सीखने की गति का धीमा होना।
  • भाषा के विकास में देरी का होना।
  • ध्वनियों के बीच अंतर पहचानने में समस्या का सामना करना। 
  • बोर्ड से किताब में नकल करने में कठिनाई का सामना करना।
  • पढ़ना, वर्तनी कौशल और कुछ भी लिखने में कठिनाई का आना।
  • एक बच्चा सामग्री को याद रखने में असमर्थ हो सकता है।
  • ऐसा प्रतीत हो सकता है कि बच्चा असंगठित है और उसे खेल-कूद में कठिनाई हो रही है।
  • बाएँ और दाएँ दोनों हाथों का प्रभुत्व अक्सर स्थापित नहीं होता, इसमें कठिनाई आम है।
  • एक बच्चे को जो कुछ वह सुनता है उसे समझने या याद रखने में कठिनाई हो सकती है।
  • चीज़ों के क्रम को याद रखने में कठिनाई का सामना करना।
  • किसी शब्द का कोई भाग या किसी वाक्य का कोई भाग छूट सकता है।
  • इस समस्या से जूझ रहे बच्चे शायद जानते है, कि वे क्या कहना चाहते है लेकिन उन्हें अपने विचार व्यक्त करने के लिए वास्तविक शब्द ढूंढने में कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है।
  • बच्चे एकांतप्रिय हो सकते है और उदास भी।
  • आत्म-सम्मान के साथ समस्याएँ उत्पन्न हो सकती है, और भाई-बहन और साथियों के बीच बातचीत तनावपूर्ण हो सकता है।
  • बच्चे गतिविधियों में रुचि खो सकते है और आलसी या प्रेरणाहीन दिखाई दे सकते है।

डिस्लेक्सिया से कैसे करें बच्चे का बचाव ?

अगर किसी बच्चे को ये समस्या पारिवारिक है, तो इस समस्या को ठीक नहीं किया जा सकता, लेकिन हां अगर आपको पता चल चुका है की आपका बच्चा डिस्लेक्सिया की समस्या का सामना कर रहा है। तो इससे बचाव के लिए जितनी जल्दी हो सकें आप बच्चे को शिक्षा की और लेकर जाए।

इलाज क्या है डिस्लेक्सिया का !

आप चाहें तो अपने बच्चे का इलाज मंथन वेलफेयर सोसाइटी एवं पुनर्वास अस्पताल में जाकर भी करवा सकते है, पर ध्यान रहें इलाज के लिए किसी भी डॉक्टर का चयन करने से पहले इस बात को ध्यान रखें की आपके डॉक्टर का अनुभव कितना है अपने ट्रीटमेंट को लेकर।

इसके इलाज के लिए इसमें दवाइयां, इसके अलावा बच्चे के सुनने की क्षमता, स्पर्श करने के तरीको की जांच करते है, उसके बाद मरीज़ का इलाज इसमें किया जाता है।

उसके बाद इसके इलाज में बच्चे का मार्गदर्शन, व उसके हौसले को बढ़ाया जाता है, ताकि वो अपना काम अच्छे से कर सकें  

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